वैक्सीन उद्योग सदियों तक नोवाक जोकोविच का लगाया तमाचा याद रखेगा

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टेनिस की जानी-मानी हस्ती, जिन्होंने कोविड-19 वैक्सीन की उपेक्षा की, वे मेलबॉर्न के ऑस्ट्रेलिया ओपन में एक चैंपियन के रूप में सामने आए, जहाँ वैक्सीनों के समर्थक बिल गेट्स दर्शक दीर्घा से यह दृश्य देख रहे थे

डार्क चॉकलेट का काला चेहरा

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हम जो डार्क चॉकलेट्स खरीदते हैं, उनमें से अधिकतर में लैड और कैडमियम के अंश पाए जाते हैं, जो हमारे शरीरों के लिए विषाक्त हो सकते हैं

ग्रेट ग्रेम 2.0: भारत की इकोनॉमी को फिर से पाने के लिए एक गुप्त दौड़

अंतर्राष्ट्रीय कार्पोरेट शक्तियों का एक बड़ा दल भारत से भारी संख्या में पैसा बाहर ले जा रहा है और आपको इसकी ख़बर तक नहीं लगने दी जाती

नेट जीरो, ईएसजी, कार्बन टैक्स: जलवायु परिवर्तन का शब्दजाल

संयुक्त राष्ट्र के भव्य शिखर सम्मेलन में चमकदार सूट पहने लोगों द्वारा पृथ्वी को बचाने की सारी बड़ी-बड़ी बातें, जलवायु संबंधी भविष्य की कठिनाइयों का सच्चाई से मुकाबला करने के बारे में कम और कॉर्पोरेट रस्साकशी के बारे में ज्यादा हैं

पेले बनाम जासूसः कौन जीता? कौन हारा?

फुटबॉल लीजेंड पेले पर 1970 के दशक में, ब्राज़ील के सैन्य शासन के अधीन इंटेलीजेंस एजेंसियों की ओर से नज़र रखी जाती थी, उन्हें संदेह था कि पेले समाजवादी झुकाव रखते थे

एक किताब ने तोड़े कोविड के कई मिथक

डॉ. अमिताव बनर्जी की ‘कोविड-19 पैन्डेमिक: ए थर्ड आई’ नामक किताब है तो मात्र 107 पेजों की, लेकिन यह पतली सी किताब ऐसे अनेक समूहों पर वार करने के लिए काफी है, जिन्होंने मिलकर महामारी की पटकथा को बड़ी होशियारी से लिख डाला

व्यापार का घाटा आसमान को छू रहा हैः क्या विदेशी ताकतें भारत की अर्थव्यवस्था को सोख रही हैं?

हाल ही में आए आयात-निर्यात के आंकड़े दिखाते हैं कि जुलाई 2020 से अब तक भारत के आयात में, निर्यात की तुलना में 30 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई है। यह एक अनूठा आंकड़ा है

नेचुरल असेट कंपनियाँ क़यामत का दिन लाएँगीं, डॉ. वंदना शिवा चेतावनी देती हैं

प्रकृति को पूरी तरह से टेकओवर करने के लिए नए तरह के मेगा कॉर्पोरेशन बनाए गए हैं जिन्हें एनएसीज़ या नेचुरल असेट कंपनीज़ कहा जाता है

कोविड वायरस के फोटो भूतपूर्व टॉप-सीक्रेट यू.एस. जैवहथियार संगठन से आए। क्‍यों?

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दुनिया जानना चाहती है कि नए कोरोनावायरस की पहली कुछ तस्‍वीरें फोर्ट डैट्रिक से क्‍यों आईं, जिसमें 1943 से ले कर 1969 तक घातक जैवहथियार यानी बायोवैपन रखे जाते थे