कॉलम/ नदीम सिराज

जब टेनिस हस्ती नोवाक जोकोविच, मेलबॉर्न पार्क में स्टैंड्स को लांघ कर अपने कोच, माँ और टीम के साथियों को गले लगाने के लिए आगे आए तो अचानक ही लंगड़ा कर वहीं गिरे और किसी छोटे बच्चे की तरह बिलखने लगे, मानो कुछ मिनट के लिए समय कहीं थम सा गया था।
29 जनवरी, 2023 को लाखों-करोड़ों लोग दुनिया भर में इस भावात्मक क्षण के साक्षी बने, यह क्षण उस समय बहुत से अर्थ रखता था, जो खेल के उस क्षेत्र से कहीं परे थे।
पहला, यह एक करारा तमाचा था जो नंबर वन टेनिस खिलाड़ी ने फार्मास्यूटिकल उद्योग के निर्लज्ज चेहरे पर रसीद किया। क्या यह एक विरोधाभास नहीं था कि वैक्सीन के समर्थक बिल गेट्स भी वहीं खड़े, नोवाक जोकोविच की ऐतिहासिक वापसी का तालियों से स्वागत कर रहे थे?
दूसरे, यह क्षण दुनिया के सभी विचारवान लोगों के लिए जीत का क्षण था जिन्हें पिछले दो साल से केवल इसलिए लोगों के उपहास और उपेक्षा का कारण बनना पड़ा कि वे वैक्सीन से जुड़े अनिवार्य जनादेश का पालन नहीं करना चाहते थे। उन्हें इसी वजह से हाशिए पर डाल दिया गया था।
और तीसरे, यह क्षण इस बात का सूचक था कि 35 वर्षीय टेनिस हस्ती ने वैक्सीन से जुड़े कड़े आदेश की अवज्ञा का जो निर्णय लिया, वह पूरी तरह से सही था, उन्होंने ऐसे प्रतिस्पर्धियों से जीत हासिल की जिन्हें दो-तीन बार वैक्सीन की खुराक दी गई थी।
जब नोवाक जोकोविच ने ऑस्ट्रेलियाई ओपन की जीत के बाद कहा कि यह उनके जीवन की सबसे बड़ी जीत थी, तो यह केवल राफेल नादेल के 22 ग्रेंड स्लैम टाइटल की जीत नहीं, उससे कहीं ज़्यादा था। यह केवल खेल जगत की बात नहीं थी।
उनके शक्तिशाली शब्द पीड़ा, संघर्ष और उस अंतहीन प्रतीक्षा का संदर्भ थे, जिन्हें उन्होंने पूरी सहनशक्ति से सहा और कॉर्पोरेट एंपायर्स के खि़लाफ़ मनुष्य के प्रतिरोध के इतिहास में नाम लिखवाया।
‘केवल मेरी टीम और परिवार जानता है कि हम पिछले चार या पाँच सप्ताह के दौरान किन हालात से गुज़रे हैं।’ नोवाक जोकोविच ने कहा, ‘हालात को देखते हुए शायद यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी जीत है।’
‘जब मैं बॉक्स में गया तो भावात्मक रूप से वहीं द्रवित हो कर गिर गया और रोने लगा। माँ और भाई को गले लगाने के बाद अपने पर काबू नहीं रख सका। उस क्षण तक मुझे कोर्ट से बाहर चल रही किसी भी गतिविधि से दूर रखा गया था या फिर चोट के इलाज के लिए क्या किया जा रहा था, इसके बारे में कुछ नहीं बताया गया था। इस तरह की बातें मेरे खेल और मेरे ध्यान को भटका सकती थीं।’ जोकोविच ने बाद में कहा।
उससे पहले, जनवरी में जोकोविच ने मेलबॉर्न में एक न्यूज़ आउटलेट को बताया, ‘दुनिया भर में कोविड और वैक्सीन को ले कर जो भी चल रहा था, मैं वाकई उस तूफान में घिर गया और देखते ही देखते, मैं पूरी दुनिया का विलेन बन गया जो एक खिलाड़ी के रूप में मेरे लिए बहुत अच्छी पोज़ीशन नहीं थी।’
एक साल पहले, जब मेनस्ट्रीम मीडिया, विश्व स्वास्थय संगठन और बिग फार्मा कंपनियाँ आपस में मिल कर कोविड-19 से जुड़े जनादेशों को कड़ाई से लागू कर रहे थे और उनकी बात न मानने वालों के साथ उपेक्षा का व्यवहार हो रहा था, उस समय में नोवाक जोकोविच को इस तरह की यातना का शिकार होना पड़ा जिसे उन्होंने खेल जगत में या एक जानी-मानी हस्ती के रूप में कभी नहीं देखा था।
उन्होंने दुनिया के आगे ऐलान किया था कि वे अपनी मर्जी से वैक्सीन लेंगे और इसके लिए किसी भी तरह के अधिकारिक दबाव को सहन नहीं करेंगे। जोकोविच प्रतियोगिता के आयोजकों और विक्टोरिया स्टेट से मंजू़री मिलने के बाद मेलबॉर्न के लिए रवाना हुए।
पर ज्यों ही वे उस जगह पहुँचे, अनजाने चेहरों ने वैश्विक रूप से चलाए जा रहे वैक्सीन नैरेटिव के पक्ष में खड़े हो कर, ऑस्ट्रेलियाई सरकार से कहा कि उन पर दबाव डाल कर, तरह-तरह की समस्याओं में उलझाने और सताने के बाद देश से बाहर निकाल दिया जाए।
टेनिस हस्ती को चुपचाप वापिस आना पड़ा। लोकप्रिय प्रेस वैक्सीन जनादेश के पक्ष में बने नैरेटिव के साथ थी, उसने उनका साथ नहीं दिया। जो लोग वैक्सीन लगवाए बिना, उनका साथ दे रहे थे, उन्हें पराजित मान लिया गया और बुनियादी मानव अधिकार शर्मिंदा हो कर रह गए।
दुनिया और ख़ासतौर पर बिग फार्मा कार्टेल कहाँ जानते थे कि एक साल बाद, नोवाक जोकोविच गरजते हुए, मेलबॉर्न पार्क में अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे और न्यू वर्ल्ड डिसऑर्डर मैंडरिन के धक्के का सामना कर सकेंगे – और मि. गेट्स दर्शक दीर्घा से उनकी इस जीत के गवाह बनेंगे।
नोवाक जोकोविच की इस अवास्तविक सी लगने वाली वापसी के साथ भी एक रोचक विरोधाभास जुड़ा है। वैक्सीन एंपायर के साथ उनकी जंग, मानव अधिकारों के लिए हमारी जंग के महत्त्व को रेखांकित करती है। हालांकि, वे जिन लोगों के लिए यह जंग लड़ रहे थे – यानी कि आम जनता, वे अंधाधुंध तरीके से वैक्सीन नैरेटिव के साथ थे और उनके विपक्ष में खड़े हो गए।
आने वाले दिनों, सप्ताहों, महीनों, वर्षों और दशकों में उद्घोषक नोवाक जोकोविच के मेलबॉर्न मार्च को टेनिस की दूरबीन से माइक्रोस्कोप से देखते हुए, स्टीफनोस के खि़लाफ़ उनकी जीत को केवल खेल के सीमित दृष्टिकोण से देखते हुए विश्लेषण करेंगे।
जो लोग पूरी तरह से जाग्रत होंगे, केवल वही 29 जनवरी, 2023 को कोरोनावायरस महामारी के डेविड और गोलिएथ क्षण के रूप में याद रखेंगे।
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