February 3, 2023: जैसे-जैसे कॉर्पोरेट जगत के खिलाड़ी जलवायु परिवर्तन में बड़ी सावधानी से की गई वृद्धि के लिए दुनिया भर की आबादी को तैयार करने में जुट रहे हैं, उन्होंने हम सबको कुछ ऐसे शब्द दिए हैं जो बेहद आकर्षक, वैज्ञानिक और तथ्यपूर्ण प्रतीत होते हैं, जैसे कि नेट जीरो, ईएसजी, कार्बन ऑफसेट, कार्बन क्रेडिट, कैप एंड ट्रेड, कार्बन फुटप्रिंट, क्लाइमेट टैक्स, नेचुरल एसेट कंपनियां, आदि।
लेकिन सच्चाई यह है कि नेट ज़ीरो और ईएसजी जैसी ये उक्तियां चतुर कॉर्पोरेट खिलाड़ियों द्वारा रचे गए वे सामरिक शब्द हैं जो लोगों को बड़े बदलावों को स्वीकार करने के लिए बहकाते हैं और वैश्विक व्यापार परिदृश्य में परिवर्तन के लिए थोपे जा सकते हैं – वो भी प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा के नाम पर।
संयुक्त राष्ट्र के भव्य शिखर सम्मेलन में चमकदार सूट पहने लोगों द्वारा पृथ्वी को बचाने की सारी बड़ी-बड़ी बातें, जलवायु संबंधी भविष्य की कठिनाइयों का सच्चाई से मुकाबला करने के बारे में कम और कॉर्पोरेट रस्साकशी के बारे में ज्यादा हैं। एक युद्ध जिसमें सबसे बड़े, सबसे धनी और सबसे प्रभावशाली व्यापारिक घराने रणनीतिक रूप से जलवायु परिवर्तन को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि छोटे व्यापारियों को बाजार से बाहर किया जा सके।
कहानी बनाम सच्चाई
जलवायु परिवर्तन के बारे में प्रेस हमें किस तरह की कहानी बता रहा है?
ये रही वे बातें जिन पर विश्वास करने के लिए आपको कहा जा रहा है: पूरी तरह से मानवीय गतिविधियों और केवल जीवाश्म ईंधन की खपत के कारण, वैश्विक जलवायु परिवर्तन स्पष्ट रूप से एक चरम बिंदु पर पहुंच गया है, जैसा कि मौसम के संकट से स्पष्ट है। इसलिए, इसे तुरंत रोका जाना चाहिए, भले ही इसका मतलब जीवाश्म ईंधन के कारोबार को पूरी तरह से बंद करना हो, जीवाश्म ईंधन के उपयोग पर रोक लगाना हो, और आम जनता के कार्बन डाइ ऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन के रिकॉर्ड का बारीकी से सर्वेक्षण करना हो। हमें बताया जा रहा है कि इस ग्रह पर जलवायु की वजह से होने वाले विनाश से जीवन को बचाने का यही एकमात्र तरीका है।
और ऐसा क्या है जो हमें बताया नहीं जा रहा है? आइए अब जलवायु के बारे में फैलाए जा रहे डर के छिपे हुए एजेंडे के बारे में जानें।
एक,सदियों पुराने कच्चे तेल के कारोबार पर युद्ध । बिग ऑयल और गैर-जीवाश्म ईंधन व्यापार गुटों के बीच पिछले कुछ दशकों से एक झगड़ा चल रहा है। गैर-जीवाश्म ईंधन कॉर्पोरेट वर्ग अब बिग ऑयल को बदनाम करने के लिए जलवायु संबंधी चिंताओं को एक हथियार के रूप में प्रयोग कर रहा है, इसके पंख काट रहा है, और दुनिया को बैटरी-केंद्रित तथा बिजली-केंद्रित ऊर्जा उपयोग की ओर ले जा रहा है। यहां गैर-जीवाश्म ईंधन लॉबी का लक्ष्य पश्चिम एशिया-पेट्रोडॉलर प्रणाली को खत्म करना है।
दो, शक्ति और धन का अधिक जमावड़ा । सबसे बड़ी और सबसे प्रभावशाली व्यावसायिक लॉबी द्वारा जलवायु परिवर्तन का उपयोग कमजोर व्यापारियों को प्रतिस्पर्धा से बाहर करने के उद्देश्य से, चालाकी भरे नियम तैयार करने के लिए एक बहाने के रूप में किया जा रहा है। यदि यह सोच-समझ कर उठाया गया कदम सफल रहता है, तो हम एकाधिकार और अल्पाधिकारों में तेजी से वृद्धि और मध्यम, लघु-स्तरीय व स्वदेशी व्यवसायों का पतन होता देखेंगे।
तीन, पलक झपकते ही कमाई । शक्तिशाली समूह के कुछ लोग जलवायु परिवर्तन संकट का इस्तेमाल करके आम जनता के साथ-साथ छोटे स्तर के और स्वदेशी व्यवसायों से पैसा बनाने के नए तरीकों का आविष्कार करना चाहते हैं। वे नई कर प्रणालियों पर विचार कर रहे हैं जो अनिवार्य भुगतान सिस्टम, जैसे कि क्लाइमेट टैक्स, कार्बन टैक्स या पर्यावरण टैक्स के माध्यम से जनता का पैसा खींच सकें।
कॉरपोरेट के नेतृत्व वाले इस परिवर्तनकारी झंझावात में जनता फंसी है, जिसे जलवायु परिवर्तन की चेतावनियां हर दिन बढ़ा-चढ़ा कर बताई जा रही हैं। धन के जोर से चलाए जा रहे जलवायु अभियानों के तेजी से उभरते तथाकथित जलवायु विशेषज्ञ, बढ़िया लगने वाले कार्बन शब्दजाल से इंटरनेट को भरे जा रहे हैं।
इससे पहले कि आप आने वाले दिनों और महीनों में, आगामी जलवायु प्रलय को लेकर दैनिक समाचारों की सुर्खियां की सुनामी में डूबने लगें, आपको तसल्ली से बैठकर उनके खेल को समझने की जरूरत है, क्योंकि अंततः आप ही हैं जो नई बनाई गई भुगतान व्यवस्था एक बार शुरू होने पर आखिरी कीमत चुकाएंगे। यह सब पता लगाने में सक्षम होने के लिए, आपको पहले चालाकी से गढ़ी गई कहानी को आलोचनात्मक ढंग से देखना होगा, और प्रत्येक शब्दजाल को समझना होगा।
नेट जीरो
आइए नेट जीरो के गढ़े हुए मिथक से शुरू करते हैं। आधिकारिक तौर पर, नेट ज़ीरो यानी कार्बन तटस्थता का अर्थ है निगमों द्वारा शून्य कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की स्थिति प्राप्त करना। मूल रूप से इसका मतलब है कि एक कॉर्पोरेशन को उसके द्वारा उत्सर्जित कार्बन और उसके द्वारा हवा से हटाए जाने वाले कार्बन के बीच संतुलन हासिल करना।
कागज पर यह बहुत अच्छा लगता है। लेकिन वास्तव में यह एक कपटपूर्ण योजना है। ऐसा इसलिए, क्योंकि नेट ज़ीरो का अर्थ है कि निगमों पर वास्तविक शून्य-कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने का दायित्व नहीं है। उन्हें कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन को रोकने की आवश्यकता नहीं है। वे ग्रह पर किसी भी सुविधाजनक स्थान पर वृक्ष लगाकर बदले में हवा को प्रदूषित करना जारी रख सकते हैं।
दूसरे शब्दों में, तथाकथित विकसित दुनिया में औद्योगिक दिग्गज जीवाश्म ईंधन का उपभोग जारी रख सकते हैं और ज्यादा कारखानों का निर्माण कर सकते हैं। उन्हें परिणामी उत्सर्जन के बारे में तब तक चिंता करने की ज़रूरत नहीं है जब तक वे एशिया और अफ्रीका के आर्थिक रूप से उपनिवेशित हिस्सों में किसी सुदूर पार्क और वनभूमि पा सकते हैं जहां वे कुछ पेड़ लगा कर एक विजेता की भांति अपने स्वयं के उत्सर्जन से हुए नुकसान की भरपाई करने का दावा कर सकते हैं।
उनका चालाकी भरा गणित यह है कि प्लस और माइनस से नेट जीरो हो जाता है! तो, इस सुविधाजनक समीकरण के कारण, वास्तविक कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन कानूनी तौर पर स्वतंत्र रूप से जारी रह सकता है।
कार्बन ऑफ़सेट
चलिए एक संबंधित शब्दजाल को लेते हैं – कार्बन ऑफ़सेट। यह दुनिया के दूसरे हिस्से में किए गए कार्बन उत्सर्जन की उच्च मात्रा की भरपाई के लिए ग्रह पर किसी विशेष स्थान पर हवा से कार्बन डाइ ऑक्साइड या अन्य ग्रीनहाउस गैसों को हटाने के कार्य को संदर्भित करता है। ऑफ़सेट आमतौर पर टन में मापा जाता है।
कार्बन ऑफसेटिंग गतिविधियों को आम तौर पर खूबसूरती से तैयार और बढ़िया मार्केटिंग वाली अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के माध्यम से किया जाता है, जैसे कि पवन ऊर्जा फार्म, जलविद्युत बांध, बायोमास ऊर्जा, बायोगैस संयंत्र आदि।
अब, यहां कार्बन ऑफ़सेट की समस्या है। यह प्रणाली मूल रूप से विशाल निगमों या रियल एस्टेट निवेशकों को औद्योगिक व शहरीकरण परियोजनाओं के लिए प्रमुख स्थानों में भूमि के बड़े हिस्से को हड़पने की इजाजत देती है। ऐसा नुकसान करने के बाद, वे अपने दबदबे का इस्तेमाल करके दूर-दराज के, आर्थिक रूप से उपनिवेशित देशों में, कृषि भूमि या वन क्षेत्रों को घेर सकते हैं, जहां वे अच्छी नजर आने वाली कार्बन ऑफसेटिंग परियोजनाएं लागू करने का दिखावा कर सकते हैं।
अच्छी नज़र आने वाली अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के निर्माण और मार्केटिंग के अलावा, ऑफसेटिंग से भी निगमों को सुदूर जमीन पर कार्बन पृथक्करण और कार्बन सिंक जैसे सुविधाजनक कारनामों में शामिल होने की सहूलियत मिल जाती है। कार्बन प्रच्छादन (सिक्वेस्ट्रेशन) वातावरण से कार्बन डाइ ऑक्साइड को बाहर निकालने की एक विधि है। जबकि, कार्बन सिंक कुछ ऐसी चीज है जो हवा से फालतू कार्बन डाइ ऑक्साइड को अवशोषित करती है, जैसे कि समुद्र, जंगल और प्राचीन मिट्टी के कुछ पैच।
ऑफसेटिंग एक तरह से निगमों को नए युग के औपनिवेशीकरण के लिए स्वतंत्रता और शक्ति देने जैसा है। यहां प्रदूषण फैलाओ, वहां जमीन हड़प लो, लुभावनी परियोजनाएं शुरू करो और ‘क्लाइमेट-रेस्पोंसिबल’ का ठप्पा लगवा लो। ऑफ़सेटिंग से बड़े निगमों में दूर स्थानों में प्रकृति को अपने कब्जे में लेने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है।
कार्बन क्रेडिट्स
चलिए, अगले पेचीदा शब्दजाल – कार्बन क्रेडिट्स की ओर बढ़ते हैं। कार्बन क्रेडिट मूल रूप से एक आधिकारिक परमिट है जो इसके मालिक को एक निश्चित मात्रा में कार्बन डाइ ऑक्साइड या अन्य ग्रीनहाउस गैसों का मुक्त रूप से उत्सर्जन करने की अनुमति देता है।
यह काफी कुछ तम्बाकू उद्योग की तरह काम करता है। यदि आप तम्बाकू उत्पादों के विक्रेता हैं, तो आपको बस इतना करना है कि अधिकारियों को एक निश्चित अतिरिक्त टैक्स का भुगतान कर दें, और काम हो गया! यानी आपको अपने हानिकारक तम्बाकू उत्पादों को स्वतंत्र रूप से बेचने का लाइसेंस मिल जाता है। यह प्राचीन काल के ‘सिन टैक्स’ जैसा है।
तो, यह कैसे काम करता है? जो कॉर्पोरेशन हवा को बहुत अधिक प्रदूषित करते हैं, वे कार्बन क्रेडिट खरीद सकते हैं, ताकि बहुत अधिक कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन जारी रखने की अनुमति पा सकें। यदि कोई कॉर्पोरेशन अपने उत्सर्जन स्तर को कम करने में कामयाब होता है, और इसे बढ़ाने का इरादा नहीं रखता है, तो उसके पास अपने कार्बन क्रेडिट को किसी ऐसे कॉर्पोरेशन को बेचने का विकल्प होता है, जो बाजार से या जारी करने वाले अधिकारियों से प्रदूषण परमिट खरीदना चाहता हो।
हवा को मनमाने तरीके से प्रदूषित करने की अनुमति पाने के लिए, कार्बन क्रेडिट खरीदने और बेचने की इस नासमझ कवायद को कैप-एंड-ट्रेड या कार्बन उत्सर्जन व्यापार कहा जाता है। ‘कैप’ क्रेडिट या लाइसेंस के बिना या सीमित क्रेडिट वाले लोगों के लिए उत्सर्जन सीमा को दर्शाता है। ‘ट्रेडिंग’ निगमों के बीच लाइसेंस की खरीद और बिक्री को दर्शाता है।
यह प्रणाली मूल रूप से आपको एक प्रदूषक के रूप में अनुमति देने के लिए डिज़ाइन की गई है, ताकि खुले तौर पर और आधिकारिक रूप से प्रदूषण संबंधी प्रतिबंधों से निजात पा सकें। प्रदूषित करना चाहते हैं? पैसे हैं? कुछ क्रेडिट खरीदिए और प्रदूषित करते रहिए!
धन एक कॉर्पोरेशन से दूसरे के पास अथवा लाइसेंस जारी करने वाले के बीच पहुंचता है, लेकिन कार्बन उत्सर्जन बेरोकटोक जारी रहता है। जलवायु को ठीक करने का यह बढ़िया तरीका है न!
कार्बन फुटप्रिंट
बहुत कुछ उसी तरह, हमारे पास बातचीत में एक और अवैध शब्द है, जिसे कार्बन फुटप्रिंट कहा जाता है। आधिकारिक तौर पर, यह कार्बन डाइ ऑक्साइड या अन्य ग्रीनहाउस गैसों की कुल मात्रा को मापने का एक तरीका है जो हम अपने जीवन के दौरान उत्सर्जित करते हैं। लोगों, स्थानों, कंपनियों और यहां तक कि एक बार होने वाले आयोजनों में भी कार्बन पदचिह्न (फुटप्रिंट) हो सकते हैं।
जाहिर है, कार्बन फुटप्रिंट हमें उन क्षेत्रों का अंदाजा देने के लिए है जिनमें हम बहुत अधिक कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जित करते हैं, ताकि हम सुधारात्मक कार्रवाई करके उत्सर्जन कम कर सकें। लेकिन वास्तव में, यह हर व्यक्ति, हर छोटे संगठन और हर स्थानीय घटना पर एक नकारात्मक रिपोर्ट कार्ड थोपने जैसा है, जो अप्रत्यक्ष रूप से उनकी उत्सर्जन अपराधी के रूप में ब्रांडिंग करता है।
कार्बन फुटप्रिंट को पर्यावरण में आपके योगदान का मानदंड बनाने का मतलब है सरकारी अधिकारियों द्वारा बिछाए गए जाल में चलना, जो यह कहानी गढ़ता है कि गलती किसकी है।
कार्बन पदचिह्न छोड़ना मानव स्वभाव है। हम ग्रह के कामकाज में हस्तक्षेप किए बिना हजारों वर्षों से ऐसे ही रह रहे हैं। लेकिन अचानक से व्यक्तियों के कार्बन पदचिह्न को मापना शुरू करना, और इसे विशाल प्रदूषकों तक सीमित न करना, आम जनता को ग्रह पर उनके योगदान के बारे में दोषी महसूस कराना है।
कार्बन टैक्स
एक बार जब प्रत्येक व्यक्ति या छोटे संगठन को उसके कार्बन पदचिह्न के आधार पर आंका जाता है, तो संभव है कि हम उनके बीच विश्वास का सामूहिक नुकसान देख सकें। कृत्रिम तौर पर जनता द्वारा शर्मिंदा किए जाने की इस प्रवृत्ति से सरकारी अधिकारियों को जलवायु या कार्बन टैक्स लागू करने की छूट मिलेगी।
यदि जनता को लगातार उसके कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन की याद दिलाई जाती है और फटकार लगाई जाती है, और यदि उन्हें बार-बार कहा जाता है कि न केवल बड़े कॉर्पोरेशन, बल्कि वे भी जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं, तो वे जलवायु के नाम पर करों और जुर्माने का विरोध नहीं कर पाते हैं। ऐसे में, स्थानीय प्राधिकरण, राष्ट्रीय सरकारें, अंतर्राष्ट्रीय संगठन और प्रहरी उन जलवायु-संबंधी करों को लगाने और एकत्र करने में सक्षम होंगे।
पेंटागन जैसे शक्तिशाली कॉर्पोरेशन और विशाल संस्थाएं, जुगत भिड़ा कर जनता पर कार्बन टैक्स लगाने के तरीके खोज सकते हैं, जो सभी करों का भुगतान कर सकती है। ठीक वैसे ही जैसे एंड-यूजर्स आज उन उत्पादों पर सेल्स टैक्स का भुगतान करते हैं जिनका भुगतान तकनीकी रूप से विक्रेताओं को करना चाहिए।
किसी भी तरह से, आम जनता सभी कार्बन करों का भुगतान कर सकती है – प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से। संयुक्त राष्ट्र के आईपीसीसी (जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल) जैसे गौरवशाली निकायों का उपयोग करते हुए, जब सत्ता अभिजात वर्ग बड़े निगमों पर जलवायु कर लगाएगा, तो वे आसानी से उन करों को अपने माल और सेवाओं के विक्रय मूल्य में जोड़ सकते हैं, और अंततः उपभोक्ताओं को भुगतान करना पड़ सकता है। यह आपके पर्स पर डाका डालने जैसा होगा!
ईएसजी
चलिए अगले भ्रामक शब्दजाल को लेते हैं और यह बहुत बड़ा है। इसे ईएसजी कहा जाता है, यानी पर्यावरण, सामाजिक और (कॉर्पोरेट) शासन। ईएसजी की जटिल और अति-निगमित परिभाषाएं हैं जिनसे आपको ऐसा लगेगा कि यह जलवायु जागरूकता के समय में व्यावसायिक समुदाय को जिम्मेदारी से व्यवहार करने का एक स्वागत योग्य तरीका है।
लेकिन वास्तव में, ईएसजी उतना ही धोखेबाज शब्द है जितना कि कुख्यात सीएसआर। ईएसजी पर्यावरण पर उनके प्रभाव, समाज में उनके योगदान और उनके आंतरिक शासन मानकों के आधार पर निगमों के लिए अंक आवंटित करने या रिपोर्ट कार्ड तैयार करने का एक तरीका है।
जाहिर है, यह अच्छा लगता है। बैलेंस शीट और बोर्डरूम से परे अपने प्रदर्शन का आकलन करने के लिए निगमों के पास समग्र रिपोर्ट कार्ड क्यों नहीं हैं? समस्या यह है कि, ईएसजी स्कोर का मतलब बाकी प्रतिस्पर्धी खिलाड़ियों की कीमत पर मुट्ठी भर सबसे शक्तिशाली कॉर्पोरेट शक्तियों द्वारा प्रभावित करना और हेरफेर करना है।
यह वैसा ही है जैसे विशाल निगम (कॉर्पोरेशन) ऐतिहासिक रूप से करों से बचने के लिए छोटे व्यवसायों की तुलना में अपनी बैलेंस शीट को बेहतर बनाने हेतु लेखा परीक्षकों को प्रभावित करते हैं। इसी तरह, सबसे बड़े कॉर्पोरेट साम्राज्य अपने खराब जलवायु ट्रैक रिकॉर्ड के बावजूद अपने लिए सबसे शानदार ईएसजी स्कोर प्राप्त करने में सक्षम होंगे, जबकि छोटे प्रतिस्पर्धियों के पास यह विशेषाधिकार नहीं होगा।
व्यापार की दुनिया में छोटे खिलाड़ियों को वास्तविक और अपेक्षाकृत कम ईएसजी स्कोर से काम चलाना होगा, जो बड़े खिलाड़ियों की तुलना में देखने में कम शानदार होगा, जिनके पास सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट कार्ड होंगे।
ईएसजी स्कोर की यह असमानता सीधे निवेशक के व्यवहार को प्रभावित करेगी। बड़े और छोटे दोनों तरह के निवेशक, उच्च स्कोर वाले ईएसजी स्टॉक खरीदने या अन्य तरीकों से निवेश करने के लिए केवल उन कंपनियों में निवेश करेंगे जिनके पास सबसे अच्छा ईएसजी स्कोर है। और बदले में, सबसे बड़े व्यवसाय, एक शक्तिशाली अल्पसंख्यक होने के नाते, बेहतर ईएसजी स्कोर दिखाकर अधिक से अधिक निवेश आकर्षित करेंगे।
इसलिए, जैसे-जैसे ईएसजी तेजी से मुख्यधारा में आएगा, हम निवेशों को चतुराई से निकालने के माध्यम से बहुत कम निगमों के हाथों में धन और शक्ति की वृद्धि देखेंगे।
प्राकृतिक संपत्ति कंपनियां (NACs)
अब हम इन सब में सबसे अशुभ शब्दजाल – एनएसी या प्राकृतिक संपत्ति कंपनियां देखेंगे। पिछले एक दशक में, वॉल स्ट्रीट और इसके वैश्विक सहयोगी एक अभूतपूर्व कदम की साजिश रच रहे हैं। उनका इरादा जलवायु परिवर्तन की बात करने के लिए पूरी प्रकृति पर कब्जा करने, इसे बेचने और इससे खरबों डॉलर बनाने का है।
यह नया साम्राज्यवादी खाका तैयार है। एनएसी वे टूल्स होंगे जिनके माध्यम से प्रकृति का अधिग्रहण किया जाएगा। एनएसी का उपयोग करके साम्राज्यवादी दुनिया की सभी जैव-विविधता और कृषि भूमि को अपना बनाने की साजिश रची जा रही है। वे उन्हें ‘प्राकृतिक संपत्ति’ के रूप में ब्रांड करना चाहते हैं, उन्हें प्राइस टैग लगाकर वस्तुओं में बदलना चाहते हैं, और उन्हें शक्तिशाली खरीदारों को ऊंची दरों पर बेचना चाहते हैं।
प्राकृतिक संपत्ति के रूप में लेबल किए जाने के बाद उन जमीनों पर वहां के स्थायी निवासियों का कोई अधिकार नहीं होगा। केवल नए पैदा हुए एनएसी ही विशेष रूप से नवनिर्मित कृषि भूमि, जंगलों, जल निकायों, चट्टानों, आर्द्रभूमि आदि के मालिक हो सकते हैं।
न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज और इंट्रिंसिक एक्सचेंज ग्रुप द्वारा संयुक्त रूप से निजी तौर पर नियंत्रित एनएसी तैयार की जा रही हैं। भूमि-हड़पने की परियोजना को रॉकफेलर फाउंडेशन, आईडीबी (इंटर-अमेरिकन डेवलपमेंट बैंक) और एबरडेयर वेंचर्स द्वारा वित्त पोषित किया गया है।
साम्राज्यवाद-विरोधी प्रकृतिवादी, डॉ. वंदना शिवा, लाभ के लिए पूरी प्रकृति के योजनाबद्ध संशोधन पर चिंतित हैं। “यह दुनिया के वित्तीयकरण का अंतिम चरण है… वित्तीय परिसंपत्ति कंपनियों के नए मॉडल के माध्यम से वित्तीयकरण, जिसका लक्ष्य 4,000 ट्रिलियन डॉलर है। इसका अर्थ होगा कि ऋण संकट का उपयोग भूमि, जंगल, नदियों, जैव विविधता जैसे वास्तविक संसाधनों और वास्तविक धन के अधिग्रहण के लिए किया जाएगा,” जैसा कि उन्होंने हाल ही में एम्पायर डायरीज़ को दिए एक साक्षात्कार में कहा।
शिवा को डर है कि जलवायु परिवर्तन की चर्चा एक “साधन और तंत्र” होगी जिसके माध्यम से कृषि भूमि और जैव विविधता का वित्तीयकरण होगा।
जलवायु आपातकाल के बहाने, एनएसी के नाम से, नए जमाने की ये ‘ईस्ट इंडिया कंपनियां’ एक के बाद एक देशों में घूमेंगी, प्रकृति की अदला-बदली करके उसे महंगे उत्पादों में बदल देंगी। जमीन हड़पने की उनकी आधिकारिक पिच क्या है? जैव विविधता और जलवायु की रक्षा!
इतिहास साम्राज्यवादियों के ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है, जो चालाक औपनिवेशीकरण की कार्रवाइयों को अंजाम देने के लिए भ्रामक शब्दावली का इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि औद्योगिक क्रांति, पेट्रोडॉलर रीसाइक्लिंग, वैश्वीकरण, मुक्त व्यापार, धन का डिजिटलीकरण, एफडीआई, हरित क्रांति, दुनिया के लिए भोजन, रणनीतिक तेल भंडार, वन वर्ल्ड गवर्नमेंट, लेट्स कनेक्ट, बिल्ड बैक बैटर। हमने इस फिल्म को कई देखा है।
कार्बन से संबंधित शब्दजाल जो अब हम पर फेंके जा रहे हैं, वह उसी पुराने शो का प्रतिपादन है। यह नई बोतल में पुराना विष है। लूट का विष। जिसके खिलाफ हमें सामूहिक रूप से खड़े होने की जरूरत है।
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