पेले बनाम जासूसः कौन जीता? कौन हारा?

फुटबॉल लीजेंड पेले पर 1970 के दशक में, ब्राज़ील के सैन्य शासन के अधीन इंटेलीजेंस एजेंसियों की ओर से नज़र रखी जाती थी, उन्हें संदेह था कि पेले समाजवादी झुकाव रखते थे (Twitter/Pele)

एक विशेष रिपोर्ट

पेले बनाम ब्राज़ीलियन जासूस? सुनने में भले ही कितना भी विचित्र लगे, पर सॉकर के जादूगर पर ब्राज़ील की इंटेलीजेंस एजेंसियों की ओर से जासूसी की जाती रही थी। जिनका पिछले माह 82 वर्ष की आयु में निधन हुआ और दुनिया शोक के सागर में डूब गई; उनसे 1970 के दशक के दौरान अनावश्यक रूप से ही जुंटा प्रयासों के अधीन पूछताछ की गई, वे लोग अपने विरोधियों और समाजवाद के समर्थकों को जड़ से उखाड़ना चाहते थे। फुटबॉल की जानी-मानी हस्ती के जीवन के इस अध्याय को मेनस्ट्रीम मीडिया में प्रायः दिखाया नहीं जाता।

एडसन अरांटिस डो नैसिमेंटो – दुनिया भर में पेले के नाम से जाने जाते हैं और मूल रूप से उनका घरेलू नाम डिको था, उन्होंने एक ऐसा जीवन जीया जिसके लिए उन्हें दुनिया भर में सराहा गया, वे फॉरवर्ड पोज़ीशन के विशेषज्ञ रहे; स्वघोषित समाजवादी बने; देश के सैन्य शासकों से निकटता के कारण परेशानियाँ झेलीं, ब्राज़ील के प्रेज़ीडेंट पद के आकांक्षी रहे; और देश के खेल मंत्री के रूप में अपनी सेवाएँ दीं।

परंतु पेले के जीवन का सबसे पहेलीनुमा प्रसंग और समय वह था, जब ब्राज़ील के जासूस गुप्त रूप से उनकी ऑफ-पिच गतिविधियों पर नज़र रखते थे – जिस तरह डिफेंडर्स उन्हें खेल के मैदान में घेरते थे।

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बहुत बाद में जारी किए गए औपचारिक दस्तावेजों में दिखाया गया कि फुटबॉल का किंग, जैसा कि प्रेस उन्हें पुकारती थी, 1970 के दशक में ब्राज़ील के अधिकारियों की निगरानी में था, जब दक्षिण अमेरिकी देश पर सैन्य तानाशाही का राज था।

पेले के बल पर ही ब्राज़ील 1958 और 1970 के दशक में वर्ल्‍ड कप का खि़ताब जीत सका, इसके अलावा उन्होंने 1962 का खि़ताब हासिल करने में भी अपना सहयोग दिया। परंतु ब्राज़ील को फुटबॉल की दुनिया में सबसे आगे ले जाने के उल्लेखनीय योगदान के बावजूद, देश के सैन्य अधिकारियों ने उनकी छानबीन करवाई, उनका कहना था कि पेले को एक घोषणापत्र मिला था जिसमें उनसे राजनीतिक कैदियों की रिहाई करवाने में सहयोग देने की मांग की गई थी।

साओ पॉलो स्टेट गवर्नमेंट की ओर से प्रकाशित दस्तावेजों से पता चला कि पेले के अलावा, कई लोकप्रिय गायक, टी.वी. होस्ट और इंटेलीजेंस अधिकारी भी उन हज़ारों व्यक्तियों में से थे जिन्हें 1964 से 1985 के दमनकारी सैन्य शासन के दौरान ब्राज़ील अधिकारियों की छानबीन का निशाना बनना पड़ा।

कहा जाता है कि लगभग 500 लोग तानाशाही के दौरान अपने राजनीतिक अधिकार खोने के अलावा, मारे गए, ओझल हुए, निर्वासित हुए या यातना का शिकार हुए। वामपंथी एक्टिविस्ट और उनके संदेहास्पद समर्थकों के लिए समय ठीक नहीं था।

पेले से जुड़े दस्तावेज दिखाते हैं कि अधिकारी उनकी रोज़मर्रा की गतिविधियों की बारीकी से छानबीन रखते और उनसे जुड़े मामलों पर नज़र रखी जाती जैसे उनके होमटाउन सान्टोस में उनके घर पर होने वाले हमले। फुटबॉल हस्ती के जीवन के हर पहलू पर इंटेलीजेंस अधिकारियों की नज़र रहती, जिनमें उनके वित्तीय लेन-देन भी शामिल थे।

पेले ने कभी ब्राज़ील सरकार की निगरानी में होने की बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया। दिसंबर 29, 2022 को साओ पॉलो के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया, वे कोलन कैंसर से जूझ रहे थे।

हालांकि उन्हें समय-समय पर प्रमुख राजनीतिक और सामाजिक मामलों पर चुप्पी बरतने और शासन कर रहे सैन्य वर्ग के साथ निकटता रखने के लिए आलोचना का शिकार भी होना पड़ा, पेले के मन में अल्पसुविधाप्राप्त बच्चों के लिए एक ख़ास जगह थी। उन्होंने 1969 में, अपना ऐतिहासिक 1000वाँ गोल ब्राज़ील के निर्धन बच्चों के नाम किया था।

पेले ने अपना 1000वाँ गोल, 80,000 दर्शकों से भरे रिओ डे जिनेरिओ के माराकाना स्टेडियम में, वास्को के खि़लाफ, अपने क्लब सान्टोस के लिए खेलते हुए, दूसरे हाफ की पैनल्टी किक के तौर पर मारा। वास्को का अर्जेंटीनियाई गोलकीपर एडगार्डो एंड्राडा, जो पेले का गोल नहीं रोक सका, उस पर खुद अपने देश में यह इल्ज़ाम लगाया गया कि वह अर्जेंटीनियाई सैन्य तानाशाही के लिए हत्याओं में मदद कर रहा था।

कई वषों बाद, सॉकर की जानी-मानी हस्ती ने अपनी औपचारिक जीवनी, ‘पेलेः द आटोबायोग्राफी’ में देश के निर्धन बच्चों के कष्टों के लिए अपनी पोजीशन का विस्तार से वर्णन करते हुए लिखा, ‘मुझे लगता है कि बहुत से लोगों ने यह नहीं समझा कि मैं निर्धन बच्चों के बारे में क्या कहना चाह रहा था। मुझे आलोचना का शिकार बनना पड़ा, कुछ लोगों ने मुझे जनोत्तेजक कहा। उन्हें लगा कि शायद मैं ईमानदारी नहीं बरत रहा था। पर इससे मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ा। मेरा मानना है कि मेरे जैसे लोग शिक्षा के बारे में संदेश दें। अगर बच्चे शिक्षित नहीं होंगे तो हमारा कोई भविष्य नहीं होगा।’ उन्होंने कहा।

हालांकि, 1984 में, जुंटा के बेदख़ल होने से एक वर्ष पूर्व, पेले खुल कर ‘जिरेतस जा‘ अभियान के साथ खड़े हुए। इस अभियान में ब्राज़ील में सैन्य तानाशाही के दौरान प्रत्यक्ष वोटिंग की मांग की गई थी ताकि प्रेजीडेंट का चुनाव हो सके। पेले का आइकॉनिक तस्वीर में वे ‘जिरेतस जा’ शर्ट पहने हुए दिखते हैं, कहते हैं कि वह तस्वीर फुटबॉल खिलाड़ी के आरंभिक विरोध के दौरान ली गई थी।

जिस प्रसंग के कारण उन्हें भारी निंदा का सामना करना पड़ा, उस घटना के पाँच साल बाद, पेले ने ब्राज़ील और दुनिया के आगे यह ऐलान करते हुए, उन्हें चौंका दिया कि वे एक समाजवादी थे। उन्होंने यह संकेत भी दिया कि वे ब्राज़ील में प्रेजीडेंट पद के लिए खड़े हो सकते थे। उन्होंने कहा कि वे एक राजनीतिक दल तैयार करेंगे ताकि देश के टॉप ऑफिस को चलाने का अवसर मिल सके। यह चौंका देने वाली घोषण एक मीडिया कांफ्रेंस के दौरान की गई, जब पेले से आने वाले  प्रेजीडेंट चुनावों के बारे में पूछा गया।

उन्होंने आने वाले महीनों में भी एक-दो बार अपनी प्रेजीडेंट बनने की आकांक्षा पर जोर दिया। ‘मेरा राजनीतिक कैरियर चार वर्ष में आरंभ होगा पर मुझे पहले ही आभास होने लगा है कि मैं प्रेजीडेंट फरनेंडो कोलोर डि मैलो के बाद प्रेजीडेंट पद का प्रत्याशी बनूँगा।’ उन्होंने अक्टूबर 1990 में कहा।

पेले को अंततः प्रेजीड़ेंट बनने की आकांक्षा पूरी करने के लिए मदद नहीं मिली। कुछ वर्ष बाद, उन्होंने ब्राज़ील के खेल मंत्री का पद संभाला और तीन वर्ष से अधिक समय तक मंत्रालय को अपनी सेवाएँ दीं।

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