
जनवरी 22, 2023: महामारी के तीन साल होने को हैं, धूल छंट रही है और पहले से भी कहीं ज्यादा परेशान करने वाले सवाल सामने आ रहे हैं। दुनिया पहले ही दबे स्वरों में वायरस के मूल रूप, वैक्सीनों के घातक दुष्प्रभावों और बिग फार्मा की उल्लेखनीय तरक्की के बारे में बातें कर रही है।
पर शायद एक सबसे बड़ा और अनुत्तरित प्रश्न वह है, जिसका उत्तर अभी तक हमारे पास नहीं है: सार्स-सीओवी-2 वायरस के माइक्रोस्कोपी फोटो का पहला बैच हमें मैरीलैंड के यू.एस. स्टेट के एक निश्चित संगठन से क्यों मिला जो कभी देश के जैवहथियारों के गढ़ के रूप में बदनाम था?
हम फोर्ट डैट्रिक की बात कर रहे हैं, जो फ्रेडेरिक के मैरीलैंड सिटी में यू.एस. सेना का फ्यूचर कमांड बेस है। फोर्ट डैट्रिक दुनिया भर के आधा दर्जन उच्च-सुरक्षायुक्त संगठनों में से था, जिन्होंने हमें जनवरी और मार्च 2020 के बीच नए कोरोनावारयस की पहली तस्वीरें दीं।
फोर्ट डैट्रिक में 2020 के पहले तीन महीनों में, आईआरएफ (इंटीग्रेटिड रिसर्च फैसीलिटी) में ट्रांसमीशन इलैक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की मदद से कोरोनावायरस की अनेक हाई रे़जोल्यूशन तस्वीरें ली गईं जो एनआईएच (नेशनल इंस्टीटयूट्स ऑफ हेल्थ) में यू.एस. एनआईएआईडी डिवीजन ऑफ क्लीनिकल रिसर्च का हिस्सा है। एनआईएआईडी या नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज़ एनआई फोल्ड का अहम हिस्सा है। फोर्ट डैट्रिक में आईआरएफ को आईआरएफ-फ्रेडरिक भी कहते हैं।
उन पहले कुछ महीनों के दौरान, अन्य निम्नलिखित संगठनों में भी वायरस की माइक्रोस्कोपिक तस्वीरें ली गईं: मोंटाना, हेमिल्टन सिटी में यूएस एनआईएआईडी रॉकी माउंटेन प्रयोगशालाओं में ट्रांसमीशन इलैक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप द्वारा; पुणे में एनआईवी (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी) में आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के साथ ट्रांसमीशन इलैक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का प्रयोग करते हुए; जर्मनी में बाइलीफेल्ड यूनीवर्सिटी के भौतिकी विभाग में हीलियम आईओएन माइक्रोस्कोप की मदद से; और चीन के पैथोजीनिक माइक्रोआर्गेनिज़्म नेशनल रिसोर्सिज़ बैंक में इलैक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की मदद से। इसके अलावा इस सूची में कुछ और नाम शामिल थे।

इस सूची में फोर्ट डैट्रिक का नाम बड़ा ही विचित्र लगता है। क्यों? क्योंकि यह पूरे 27 साल तक अमेरिका के सबसे अधिक आलोचना का शिकार होने वाले जैवहथियारों के प्रोग्रामों के लिए प्रमुख केंद्र रहा, जिसे यूएस प्रेजीडेंट फ्रेंकलिन रुज़वेल्ट के समय 1943 में आरंभ किया गया था।
तीन दशक लंबे उस प्रोग्राम के दौरान, परियोजना में विवादित रूप से खतरनाक बायोलॉजिकल एजेंट रखे गए जैसे एंथ्रेक्स (बैसीलस एंथे्रसिस), टुलारेमिया (फ्रेंसिसेला टुलारेन्सिस), ब्रूसेलोसिस (ब्रूसैला एसपीपी), क्यू-फीवर (कोक्सियला बू्रनेट्टी), वेनेजुईलन इक्वाइन एंसिफेलीटिस वायरस, बोटूलिज़्म (बोटूलिन्म टॉक्सिन) और स्टेफीलोकोकैल एंट्रोटॉक्सिन बी।
1969 में, यूएस प्रेजीडेंट रिचर्ड निक्सन ने भांपा कि फोर्ट डैट्रिक की जैवहथियार विरासत अपनी गुप्त और अनैतिक गतिविधियों के साथ आलोचना का शिकार हो रही थी। निक्सन को अंतत: विवश हो कर नेशनल बायोवैपन प्रोग्राम को रद्द करना पड़ा ताकि इसे एक कड़ी कारवाई के तौर पर देखा जा सके। हालांकि, फोर्ट डैट्रिक इस तूफान को झेल गया और फिर बाद में यूएस बायोलॉजिकल डिफेंस प्रोग्राम के हेडक्वार्टर के तौर पर सामने आया।
क्या यह पूछना उचित नहीं होगा कि कुख्यात भूतपूर्व अमेरिकी बायोवैपन केंद्र का कोविड-19 के शोध से इतना निकट संबंध क्यों रहा? क्या यह संबंध संयोग मात्र है या फिर इसके पीछे कुछ ऐसा है जो आंखों से दिखाई नहीं देता? हो सकता है कि इनका आपस में कोई संबंध न हो, पर मुख्यधारा मीडिया इस विषय पर चुप क्यों है?
फोर्ट डैट्रिक के बारे में मिला एक समाचार और भी ज्यादा भी विचलित करने वाला है। जुलाई 2019 में – कोविड-19 के आने से 5 महीने पहले – सुरक्षा मापदंडों में कमी के कारण यूएस सीडीसी (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन) के आदेशानुसार, फोर्ट डैट्रिक की कुछ संवेदनशील और हाईसिक्योरिटी बायोलैब्स को अचानक बंद कर दिया गया। इसके बाद, 27 मार्च, 2020 को – डब्ल्यूएचओ की ओर से कोरोनावायरस महामारी की घोषणा के 16 दिन बाद – यूएस सीडीसी ने फोर्ट डैट्रिक की लेवल 3 और लेवल 4 बायोलैब्स को फिर से खोलने और काम करने की अनुमति दे दी जो यूएसएएमआरआईआईडी (यूएस आर्मी मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इंफेक्शियस डिजीज) के अधीन थीं।
एंपायर डायरीज़ ने फोर्ट डैट्रिक की विवादित विरासत में गहराई से खोजबीन की और पाया कि अमेरिकी रिसर्च संगठन का अतीत वाकई अंधकारमय रहा है, जिसे मुख्यधारा मीडिया ने कभी रिपोर्ट नहीं किया या वह इससे पूरी तरह से अनजान है। फोर्ट डैट्रिक के रद्द किए गए बायोवैपन प्रोग्रामों में ऑपरेशन सी-स्प्रे नामक बहुत ही कष्टदायी गुप्त परियोजना थी।
यह एक अति गोपनीय अमेरिकी नेवी परियोजना थी जिसे विचित्र रूप से 1950 में वापिस ले लिया गया। यह सुनने में भी कमाल लग सकता है, ऑपरेशन सी-स्प्रे बायोवार रिएल-वर्ल्ड परीक्षण था जिसमें एक अंडरकवर यूएस नेवी टीम द्वारा, कैलीफोर्निया स्टेट के सैन फ्रांसिस्को के बे एरिया में सिरेटिया मारसिसिंस और बैसीलिस ग्लोबीगी बैक्टीरिया छिड़के गए थे।
वे इस प्रयोग के माध्यम से तय करना चाहते थे कि सैन फ्रांसिस्को जैसा हाई प्रोफाइल शहर खतरनाक जैवहथियार हमले का प्रबंधन कैसे कर सकता था या उसका जवाब कैसे दे सकता था। समय के साथ-साथ, उस अनैतिक प्रयोग के भयावह विवरण सामने आने लगे। तब 1950 में 20-27 सितंबर तक, सैन फ्रांसिस्को की तटीयरेखा पर एक जहाज से दो तरह के बैक्टीरिया छोड़े गए थे। उन्हें इस गोपनीय प्रयोग के दौरान इंसानों के लिए हानिरहित माना गया था।
स्थानीय जनता ने उस परीक्षण के लिए कैसी प्रतिक्रिया दी, उसके नतीजों को सावधानी से संजोया गया, सैन फ्रांसिस्को में 43 जगहों पर मॉनीटर करने वाले उपकरण रखे गए। जांच के नतीजों से पता चला कि उस समय सैन फ्रांसिस्को के आठ लाख से अधिक नागरिकों ने प्रति व्यक्ति 5000 पार्टीकल साँस लेने के दौरान ग्रहण किए।
अमेरिका की गुप्त बायोवार टेस्टिंग यहीं नहीं थमी। एक नियंत्रित प्रयोग के हिस्से के तौर पर बैसीलिस ग्लोबीगी बैक्टीरिया को न्यू यॉर्क शहर के सबवे सिस्टम में छोड़ा गया ताकि यूएस शहर में एक एंथ्रेक्स प्रकोप हो सके। ऐसे ही अन्य एंटी-एनीमल फील्ड टेस्ट, उटाह के डगवे प्रोविंग ग्रांउड में और फ्लोरिडा के एगलिन एयरफोर्स बेस में यूएस बायोवैपन प्रोग्राम के अधीन किए गए।
तभी से यूएस सरकार ने फोर्ट डैट्रिक से चलने वाले संदेहास्पद बायोवैपन प्रोग्राम बंद कर दिए, इस संगठन को एक और भारी निंदा का सामना करना पडा, जब यह पता चला कि जानलेवा एड्स वायरस, रिसर्च सेंटर में पुनः उत्पादित किया गया – जो कि औपचारिक तौर पर केवल शोध के उद्देश्यों से किया गया था।
अक्टूबर 1984 में, यह पता चला कि फ्रेडरिक कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट में विशेषज्ञों का एक दल 250 लीटर द्रव्य का मंथन कर रहा था जिसमें ऐसे पैथोजन थे जो एडस पैदा करने का कारण बनते हैं।
आज एनआईएआईडी की वेबसाइट कहती है कि आईआएफ फ्रेडरिक एक सहयोगपूर्ण संसाधन के रूप में बाहरी और आंतरिक छानबीन करने वालों की मदद करती है ताकि वायरसों पर शोध हो सकें, ऐसे वायरस जो उच्च-परिणाम रोगों के वाहक हो सकते हैं जैसे इबोला वायरस और सार्स-सीओवी-2 और वे सभी वायरस जो एनआईएआईडी की प्राथमिकता पैथोजन सूची में शामिल हैं।’ पर अब जब आप फोर्ट डैट्रिक की इस रोंगटे खड़े कर देने वाली विरासत को अपनी छानबीन के बाद जानते हैं, तो क्या यह आपको सुनने में अजीब नहीं लगता कि दुनिया भर में लाखों लोगों की जान लेने वाले जानलेवा कोरोनावायरस की तस्वीरें उसी जगह से क्यों आईं? क्या यह पहेली का ऐसा खोया हआ हिस्सा है जिसे हमें खोजने की अनुमति कभी नहीं दी जाएगी?
REPUBLISH! Feel free to repost this article on the following terms: (1) Hyperlink this post, (2) Mention our website EmpireDiaries.com with a hyperlink.
Good
LikeLiked by 1 person